
‘बत्ती गुल मीटर चालू’ की काफी धीमी शुरुआत
टॉयलेट-एक प्रेमकथा’ जैसी फिल्में देने वाले श्री सिंह से ही नहीं बल्कि श्रद्धा कपूर और शहीद कपूर से उम्मीदें काफी ज्यादा थीं, ऐसे में बत्ती गुल मीटर चालू खरी उतरती नहीं दिखती. उत्तराखंड के टिहरी की पृष्ठभूमि में बनी फिल्म Batti Gul Meter Chalu का निर्देशन करने वाले श्री नारायण सिंह ने ही टॉयलेट- एक प्रेम कथा बनाई थी. बत्ती गुल मीटर चालू उत्तरी भारत में बिजली के संकट, बढ़े हुए बिल और खराब बिजली मीटर्स की समस्या से जूझते आम आदमी का मुद्दा उठाती है. इसके जरिये शाहिद और श्री नारायण सिंह पहली बार साथ आए हैं. फिल्म में शाहिद, श्रद्धा और यामी गौतम मुख्य भूमिका में हैं.
इस फिल्म ने फर्स्ट डे करीब 6.50 करोड़ रुपए का बॉक्स ऑफिस Collection किया. फिल्म से ज्यादा उम्मीदें इसलिए भी थी, क्योंकि शाहिद कपूर लीड रोल के भूमिका में हैं. रेअलीसे के दिन मुहर्रम के मौके पर छुट्टी थी, इसके बावजूद ज्यादा कमाई देखने को नहीं मिल सकी. वीकेंड के बाकी दो दिन बचे हुए हैं और उम्मीद है इससे बेहतर कमाई हो सकती है.
फिल्म की कहानी में तब तक सब कुछ ठीक चलता है, जब तक कि त्रिपाठी अपनी एक प्रिंटिंग प्रेस शुरू नहीं करता है. इस प्रेस के खुलने के कुछ ही दिन बाद उसके पास डेढ़ लाख रुपये का बिजली का बिल आता है. ये बिल कुछ ही महीनों में 54 लाख तक पहुंच जाता है. उसे मालूम नहीं चलता कि ऐसे में क्या किया जाए, किसके पास शिकायत की जाए, ऐसे में त्रिपाठी आत्महत्या कर लेता है.
इन सारी घटनाओं से एसके को बड़ा धक्का लगता है और उसका हृदय परिवर्तन हो जाता है. वो बढ़े हुए बिजली बिलों की जिम्मेदार प्राइवेट इलेक्ट्रिसिटी कंपनी एसपीटीएल के खिलाफ लड़ने का फैसला करता है. अब आगे क्या होता है, इसी पर कहानी बढ़ती है. फिल्म का पहला हिस्सा काफी दर्द भरा है. इंटरवल के बाद फिल्म रफ्तार पकड़ती है. इसके बाद काफी सीन कोर्टरूम से जुड़े हैं. इस फिल्म में यामी गौतम को एक वकील के रूप में हैं
Shahid Kapoor की एक्टिंग अच्छी है, जिसके एकसाथ कई शेड्स नजर आते हैं. फिर भी ऐसा लगता है कि फिल्म में उनका टैलेंट काफी वेस्ट हुआ है और उन्हें दबाव देकर डायलॉग्स बुलवाए गए हैं. स्क्रीनप्ले और एडिटिंग भी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है. कुल मिलाकर देखा जाए, तो एक बेहतरीन फिल्म बनाते-बनाते चूक हो गई. खैर अभी दिन बाकि हैं हो सकता है बत्ती फिर जल जाये.