
गुरु गोविन्द दोनों खड़े, काके लागूं पाँय।
बलिहारी गुरु आपनो, गोविंद दियो बताय॥
गुरु पूर्णिमा तिथि -2019
जुलाई 16, 2019 को 01:50:24 से पूर्णिमा आरम्भ
जुलाई 17, 2019 को 03:10:05 पर पूर्णिमा समाप्त
Guru Poornima का महत्व
भारत देश तिथियों और त्योहारों का देश है. इसी श्रंखला में गुरु पूर्णिमा भी एक ऐसा ही त्योहार है जो सबसे बड़ा और अनोखा है.
सामान्यता देखा जाये तो गुरु पूर्णिमा को गुरु की पूजा की जाती है, हमारे देश में यह पर्व बड़ी श्रद्धा और उत्सव के साथ मनाया जाता है.
गुरु का हमारे जीवन में एक विशेष महत्व है. गुरु एक पंडित या कोई ऋषि नहीं होता गुरु तो ईश्वर का ही एक रूप होता है.
Hindu dharma के अनुसार गुरु पूर्णिमा के दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन व्यास का जन्मदिवस भी माना जाता है. गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. गुरु ही साक्षात महादेव है
गुरु को समझना या जानना कोई साधारण बात नहीं है. और मेरे हिसाब से तो गुरु को समझना की कोशिश भी एक बहुत छोटी बात है.
गुरु की बातों का हर पल ध्यान रखना पड़ता है. वैसे तो गुरु एक विशेष समय में आपको एक विशेष बात बताएगा मगर गुरु के साधारण समय में बताई गई बात भी बड़ी महत्वपूर्ण होती है.
हो सकता है आपको वो बात साधारण लगे मगर उसकी गहराई को समझ नहीं सकते.
ये कभी मत समझना की गुरु ने यूँ ही हलके में कोई बात बोल दी तो हलकी है और किसी विशेष समय के सत्संग कही गई बात कीमती है.
गुरु के मुख से निकली उसके शिष्य के लिए कोई न कोई विशेष कृपा लेकर आती है.
गुरु के साधारण समय यदि आपने बात नहीं मानी तो विशेष समय की गई बात भी आपके लिए मानाने लायक नहीं होगी. इसलिए गुरु को हर समय ध्यान से सुनना और गुरु के एक-एक इशारे को समझना जरुरी है.
गुरु पर पूर्ण विश्वास ही शिष्य के कल्याण का मार्ग है. गुरु के साथ एक सच्चे मन से रहा जा सकता है. सच्चा मन ही गुरु के साथ रह सकता है
गुरु ज्ञान का रूप
- गुरु कोई व्यक्ति नहीं गुरु पूर्णता ज्ञान का ही रूप है.
- गुरु के साथ की गई कोई भी प्रपंच या चालाकी आपके लिए कल्याणकारी सिद्ध नहीं हो सकती. गुरु की विशेष कृपा के लिए आपका पूर्ण
- विश्वास और निश्छल मन ही काम आ सकता है.गुरु का रूठना भी अच्छी बात नहीं मानी जाती
- संत कबीर जी कहते हैं. – ‘हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहिं ठौर॥’
अर्थात् भगवान के रूठने पर तो गुरु की शरण रक्षा कर सकती है किंतु गुरु के रूठने पर कहीं भी शरण मिलना संभव नहीं है। - जिस दिन आप पूर्ण खाली होकर गुरु से मिलेंगे उसी दिन गुरु अपना पूर्ण ज्ञान आपकी झोली में उड़ेल देगा. इसलिए आपको पूर्ण रिक्त हो कर ही गुरु से मिलना चाहिए.
- कोई भी लालसा, जरा भी संकोच आपको गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान से दूर रह जाओगे.
- एक पूर्ण गुरु या सिद्ध गुरु की कोई नियम नहीं होता उसका कोई सीमा नहीं होती. मगर एक शिष्य के लिए कई नियम होते है.
- एक शिष्य को मर्यादा का पालन करना जरुरी होता है. जब ही वो सही रास्ते पर सही सही मंज़िल तक पहुँच सकता है.
Guru purnima special पर गुरु पूजन विधि
- इस दिन प्रातःकाल स्नान पूजा आदि नित्यकर्मों को करके उत्तम और शुद्ध वस्त्र धारण करना चाहिए।
- फिर व्यास जी के चित्र को सुगन्धित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाना चाहिए। उन्हें ऊँचे सुसज्जित आसन पर बैठाकर पुष्पमाला पहनानी चाहिए।
- इसके बाद वस्त्र, फल, फूल व माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा यथासामर्थ्य धन के रूप में भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
- इस दिन केवल गुरु की ही नहीं अपितु परिवार में जो भी बड़ा है अर्थात माता-पिता, भाई-बहन, आदि को भी गुरु तुल्य समझना चाहिए।
- गुरु की कृपा से ही विद्यार्थी को विद्या आती है। उसके हृद्य का अज्ञान व अन्धकार दूर होता है।
- गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी, ज्ञानवर्धक और मंगल करने वाला होता है।
- संसार की सम्पूर्ण विद्याएं गुरु की कृपा से ही प्राप्त होती है।
- गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।
- इस दिन गुरुजनों सेवा करने का बहुत महत्व है।
- इस पर्व को श्रद्धापूर्वक जरूर मनाना चाहिए।