
सनातन धर्म कहानियों किस्सों से भरा पड़ा है. बात करें lord Krishna की राधा का नाम तो आ ही जाता है और कोई राधा का नाम ले तो कृष्ण की याद न आइये ऐसा होना नामुमकिन है.
इस महीने भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि Radha ashtami है ये राधा जी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है. वैसे तो राधा-कृष्ण दोनों एक ही है. मगर प्रेम को धरती पर स्थापित करने के लिए दोनों को विलग होना पड़ा.
कौन हैं राधाजी – radha ashtami 2019
श्री राधाजी ने वृषभानु की पुत्री के रूप में जन्म लिया और कृष्ण वल्लभा के नाम से प्रसिद्द हुई. राधा जी की पूजा के बिना श्रीकृष्ण जी की पूजा पूर्ण नहीं होती. क्यूंकि राधा जी भगवान कृष्ण के प्राणों की अधिष्ठात्री देवी हैं इसलिए भगवान इनके अधीन रहते हैं।
अवतार कमल के फूल से हुआ. राधा जी को माता लक्ष्मी का रूप भी माना जाता है. भगवन विष्णु के आठवें अवतार कृष्ण के लिए राधा का जन्म हुआ था. राधा को कृष्ण की प्रेमिका के रूप में जाना जाता है.
क्या मतलब है राधा नाम का? – radha ashtami 2019
राधा जी के नाम का एक अर्थ ये भी लगाया जाता है की यह संपूर्ण कामनाओं का राधन (साधन) करती हैं, इसी कारण इन्हें श्री राधा कहा गया है.
कैसे मनाएं radha ashtami ?
- राधा अष्टमी लगातार 16 दिनों तक मनाई जाती है। राधा अष्टमी का व्रत पति और संतान की लंबी आयु के लिए किया जाता है.
- राधा अष्टमी को राधा के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की भी पूजा की जाती है.
- राधा अष्टमी के दिन सूर्योदय से पहले उठना चाहिए.
- स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- इस दिन व्रत का संकल्प लेना चाहिए और राधा जी की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए
- राधा जी को नए वस्त्र और श्रृंगार से सजाना चाहिए।
- राधा जी और भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा स्थापित करें.
- प्रतिमा स्थापित करने के बाद धूप, दीप, फल, फूल आदि चढ़ाना चाहिए।
- राधा रानी और भगवान श्री कृष्ण की विधिवत पूजा करनी चाहिए.
- राधा अष्टमी की कथा सुननी चाहिए।
- अंत में राधा जी और भगवान श्री कृष्ण की आरती उतारनी चाहिए और शाम के समय सिर्फ फलों का सेवन करना चाहिए।
कब है राधा अष्टमी शुभ महूर्त –
- इस साल 6 सितंबर 2019 को राधा अष्टमी है.
- शुभ महूर्त – अष्टमी तिथि आरंभ- रात 8 बजकर 49 मिनट से (5 सिंतबर 2019)
- अष्टमी तिथि समाप्त – रात 8 बजकर 43 मिनट तक (6 सिंतबर 2019)