
श्री राम ने खिलाये थे हनुमान जी को तिल के लड्डू
भारत में अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। उन त्योहारों से जुड़ी अनेक मान्यताएं व परंपराएं भी प्रचलित है। उन परंपराओं के पीछे अनेक कारण भी हैं जो कहीं न कहीं हमारे लिए उपयोगी भी है।मकर संक्रांति भी हमारे देश के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार संपूर्ण भारत में अनेक नामों व तरीकों से मनाया जाता है। अनेक स्थानों पर इस त्योहार पर पतंग उड़ाने की परंपरा प्रचलित है। इस त्यौहार पर श्री राम से जुडी एक रोचक बात आप से शेयर करते हैं.
भगवान् श्री राम जितने गंभीर हैं उतने ही चंचल भी. उन्होंने बचपन में बड़ी शरारत और खेल खेले हैं क्या आप जानते है भगवन श्री राम ने भी पतंग उड़ाई थी उनके बचपन काल में. जी हाँ प्रसिद्ध धार्मिक ग्रंथ ‘रामचरित मानस’ के आधार पर श्रीराम ने अपने भाइयों के साथ पतंग उड़ाई थी। ये आपको रामचरितमानस के बालकांड में देखने को मिल जायेगा, उसमे लिखा है की – ‘राम इक दिन चंग उड़ाई। इन्द्रलोक में पहुंची जाई।।’
‘मकर संक्रांति’ पर पंपापुर से हनुमानजी को बुलवाया गया, उस समय हनुमानजी बालरूप में थे। श्रीराम अपनी मित्रों के साथ पतंग उड़ाने गए. जब उन्होंने पतंग उड़ाई तो पतंग उड़ते हुए देवलोक में इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी के पास जा पहुंची। उस पतंग को देखकर इंद्र के पुत्र जयंत की पत्नी बहुत आकर्षित हो गई। वह उस पतंग और पतंग उड़ाने वाले के प्रति सोचने लगी- ‘जासु चंग अस सुन्दरताई। सो पुरुष जग में अधिकाई।।’
वह सोचने लगी कि पतंग कितनी सुन्दर है इस पतंग को उड़ाने वाला अपनी पतंग लेने के लिए अवश्य आएगा। वह प्रतीक्षा करने लगी। उधर पतंग पकड़ लिए जाने के कारण पतंग दिखाई नहीं दी, तब बालक श्रीराम ने बाल हनुमान को उसका पता लगाने के लिए रवाना किया।
पवनपुत्र हनुमान आकाश में उड़ते हुए इंद्रलोक पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने देखा कि एक स्त्री उस पतंग को अपने हाथ में पकड़े हुए है। उन्होंने उस पतंग की उससे मांग की।
उस स्त्री ने पूछा- ‘यह पतंग किसकी है?’ हनुमानजी ने रामचंद्रजी का नाम बताया। इस पर उसने उनके दर्शन करने की अभिलाषा प्रकट की।
हनुमानजी यह सुनकर लौट आए और सारा वृत्तांत श्रीराम को कह सुनाया। श्रीराम ने यह सुनकर हनुमानजी को वापस वापस भेजा कि वे उन्हें चित्रकूट में अवश्य ही दर्शन देंगे। हनुमानजी ने यह उत्तर जयंत की पत्नी को कह सुनाया जिसे सुनकर जयंत की पत्नी ने पतंग छोड़ दी।
कथन है कि- ‘तिन तब सुनत तुरंत ही, दीन्ही छोड़ पतंग। खेंच लइ प्रभु बेग ही, खेलत बालक संग।।’
इस त्यौहार मकर संक्रांति पर श्री राम ने बड़े प्यार से श्री हनुमान जी तिल और गुड़ के लड्डू खिलाये थे