
Teenagers होना शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा
मैं भी एक लड़की हूँ और मैं भी इस उम्र से गुजरी हूँ तो यहाँ तक मेरा सवाल है तो मुझे लगता है Teenagers होना मतलब आपकी उम्र से नहीं है, बल्कि यह आपकी सोच और रवैया पर depend करता है। मैंने देखा है कि कुछ teenagers अपने आने वाले भविष्य के लिए बहुत सीरियस हैं, तो कई गैर जिम्मेदार कार्य करने, रिश्वत देने और ऐसे कई अजीब behavior करते हैं जैसे की कोई व्यसक अपनी उम्र में करता है।
किशोरावस्था को निश्चित अवधि की सीमा में नहीं बांधा जा सकता। जब व्यक्ति मानसिक रूप से प्रौढ़ता की ओर अग्रसर होता है और वह सामाजिक व आर्थिक दृष्टी से उपेक्षाकृत आत्मा-निर्भर हो जाता है जिससे समाज में अपनी एक अलग पहचान बनती है। मानव विकास की चार अवस्थाएं मानी गयी हैं बचपन, किशोरावस्था, युवावस्था और प्रौढावस्था। यह विकास शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप में होता रहता है। किशोरावस्था सबसे अधिक परिवर्तनशील अवधी है।
Teenagers होना शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक परिवर्तन का हिस्सा है हम देखते हैं की आज के समय में कितने तरह के Brands market में आ गए हैं, और आज के भारतीय किशोर Brands के साथ बेहद जुनूनी हैं यह जुनून उनमे उनके ही दोस्तों से आता हैं जैसे महंगी चीजें ख़रीदना, महंगे सिनेमा घर में जाना, महंगे रेस्टोरेंट में खाना खाना, ये सब एक फैशन बन गया है. उनके लिए ये एक अच्छी बात हो गई है और वे ये सब काम कुछ तो ट्रेंड्ज़ की वजह से करते हैं तो कुछ अच्छा करने के लिए नहीं बल्कि अपने दोस्तों को दिखने के लिए करते हैं.
आज के किशोर किशोरावस्था में ही औरों की तुलना में अधिक स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते हैं और ये एक तरह से सही है भी हैं मन की वे गलतियां करते हैं लेकिन सही गलत में चुनना सीखते हैं। उनकी ये प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं, वे इस तरह अपने से बड़े का या अपने पेरेंट्स का ध्यान अपनी और आकर्षित कर रहे हैं
यहाँ मैं indianwomenlife.com के माध्यम teenagers को बताना चाहती हूँ की कुछ ऐसे विचार या कुछ ऐसे thoughts हैं जो वो अपने parents के साथ share कर सकते हैं. और करना भी चाइये.
बच्चे अपने पेरेंट्स से इस तरह की बातें बोल सकते है या बता सकते हैं जैसे-
1. मैं बच्ची बनी नहीं रह सकती में चाहती हूँ की अपने बारे में मैं खुद decision लूँ . और decision लेते समय पूरी आज़ादी हो मुझे.
2. मुझे अच्छा लगता है जब आप मुझसे मेरी राय पूछते हैं. – मुझे अच्छा लगता है जब आप मेरी बात ध्यान से सुनते है और मेरी जजमेंट का सम्मान करते हैं. यदि आप ऐसा करते है तो फिर मैं समझूंगी की मैं आपसे बात कर सकती हूँ.
3. जब आप मुझे लेक्चर देते हैं वो भी बिना रुके तो मैं आपको सुंनना बंद कर देती हूँ. आप को लगता है की मेरे डिसिशन गलत है तो मुझे सही रास्ता दो न की मुझे लेक्चर दो.
4. मेरी बात की प्रंशसा भी कीजिये और साथ ही ये न भूले की मैं बच्ची नहीं हूँ.
5. जब आप मुझ पर भरोसा करते हैं तो मैं अपने और आपके लिए अच्छा महसूस करती हूँ. मैं उस समय समझती हूँ की आप मेरी बात समझ सकते हैं और फिर आपसे खुल के बात कर सकती हूँ.
6. मुझसे बेमतलब ज्यादा questions न करें . कोई नहीं चाहता की उसके आस-पास कोई भी उसका बॉस बन कर रहे. खास कर मेरी उम्र में तो बिलकुल नहीं
7. जब आप मुझसे मेरे friends के बारे में बुरा बोलते हो तो मुझसे अपने दोस्तों से नफरत नहीं होती बल्कि मुझे उसे समय आप बुरे लगते हो.
8. जब आपको लगता है की मैं अपने रूम में सही से नहीं रह रही हूँ या मेरे रूम में कुछ गड़बड़ी है तो मुझे लेक्चर नहीं बल्कि मुझे सपोर्ट करने की जरुरत है.
मैं हमेशा आपसे प्यार करती रही हूँ और करती रहूंगी और में ये भी जानती हूँ आप भी मुझे प्यार करते हो. मगर कुछ समय मेरे थॉट्स को दें.
तो दोस्तों, किशोरावस्था आपके बच्चे के लिए बड़े सामाजिक और भावनात्मक विकास का समय है। हमें यह जानने में मदद करता है कि जो आज समय परिवर्तन हो रहा है उसके हिसाब से हम अपने बच्चों से क्या उम्मीद करें और अपने बच्चे का समर्थन कैसे करें। परिवार और साथियों के साथ आपके बच्चे के रिश्ते नाटकीय परिवर्तन और बदलाव से गुजरेंगे। स्वस्थ सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए परिवार और दोस्तों दोनों के साथ मजबूत संबंध महत्वपूर्ण हैं।
– अनुश्री श्रीवास्तव