
हर दिशा में जाने के लिए एक ग्रह उस दिशा को नियंत्रित करता है जिसको ग्रह दिक बोलते है इस प्रकार 9 ग्रह और एक लग्न मिला कर दस दिक यानी 10 दिशाओ में हर एक का प्रधिनित्व एक ग्रह करता है । ज्योतिष के दैनिक उपयोग में ऊपर नीचे के दिक को छोड़ 8 दिक लेते है जैसे पूर्व का सूर्य आग्नेय का शुक्र दक्षिण के मंगल आदि यह ग्रह उस दिशा यानी अपने कारकत्वों के हिसाब से जातक की मदद करते है। इस हर दिक में एक ग्रह इनको रोकता है जिसको काल ग्रह कहते है सूर्योदय से सूर्यास्त तक आठो ग्रह के काल होते है ऐसे ही सूर्यास्त से सूर्योदय के बीच भी 8 काल होते है।
राहु की दृष्टि कुंडली के पंचम, सप्तम और नवम भाव पर पड़ती है। जिन भावों पर राहु की दृष्टि का प्रभाव पड़ता है, वे राहु की महादशा में अवश्य प्रभावित होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में इस ग्रह को पाप का राजा माना जाता है कहा जाता है की जब राहु की महादशा या अन्तर्दशा आती है तो व्यक्ति एक बार बीमार अवश्य पड़ता है
उपाय:
- भगवान शिव के रौद्र अवतार भगवान भैरव के मंदिर में रविवार को तेल का दीपक जलाएं।
- शराब का सेवन कतई न करें।
- लावारिस शव के दाह-संस्कार के लिए शमशान में लकड़िया दान करें।
- अप्रिय वचनों का प्रयोग न करें।
- पक्षियों को प्रतिदिन बाजरा खिलाएं।
- सप्तधान्य का दान समय-समय पर करते रहें।
- एक नारियल ग्यारह साबुत बादाम काले वस्त्र में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें।
- शिवलिंग पर जलाभिषेक करें।
- अपने घर के नैऋत्य कोण में पीले रंग के फूल अवश्य लगाएं।
- तामसिक आहार व मदिरापान बिल्कुल न करें।